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साथी-संगम

Monday, May 21, 2012


एक क्षणिका :


रचनाकार
उधर
विसंगतियों पर प्रहार
इधर
विसंगतियों के शिकार,
वाह रे...
रचनाकार!
               
                                                - जितेन्द्र ‘जौहर’



1 comment:

  1. इसी दुविधा में रचनाकार जीते हैं
    वो जख़्म देते हैं, हम उन्हें सीते हैं

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