-1-
दूरियाँ
मज़दूर,
मजबूर है...!
मालिक,
मग़रूर है...!
दौलत के नशे में चूर है!
इसीलिए
मज़दूर से दूर है!
-2-
नशा
दौलत में-
‘शान’ नहीं,
‘नशा’ है...!
‘नशा’ में-
‘नाश’ है...!
नशेड़ी,
एक चलायमान
लाश है...!
-जितेन्द्र ‘जौहर’
-जितेन्द्र ‘जौहर’