प्रिय मित्रो,
सृजन के किन्हीं भावुक पलों में हृदय छलक पड़ा...मैंने कुछ बूँदें काग़ज़ पर बटोर लीं...बाद में देखा तो इनमें कुछ बिम्बों...कुछ प्रतीकों...कुछ पौराणिक प्रसंगों...के अनेक सुचीह्ने अवयव दिखायी पड़े...! ...एक बात यह भी कि...‘मुक्तछंद’ होकर भी इस काव्याभिव्यक्ति का अपना एक व्यवस्थित शिल्प है...मेरा यथासंभव प्रयास रहा है कि...यह कविता ‘मुक्तछंद/छंदमुक्त’ के नाम पर प्रचलित ‘अधिकांश’ रचनाओं की तरह एक ‘कवितानुमा शब्द-संयोजन’...अथवा एक ‘बेतरतीब पेशकश’...या यूँ कहें कि...एक ‘अराजक काव्याभिव्यक्ति’ बनकर न रह जाय। मेरा प्रयास कितना सफल रहा, यह तो आप सभी पाठकगण बताएँगे...! बहरहाल...मेरे मन मे आया कि मैं इसे ‘जौहरवाणी’ के माध्यम से आप तक पहुँचाऊँ...! सो प्रस्तुत है-
० प्रेम-पत्र ०
आपका प्रेम-पत्र...
जैसे किसी वैभवशाली ‘अभाव-महल’ में
आकुल-व्याकुल
उर्मिला के समक्ष
किसी लक्ष्मण का
भावमय गृह-आगमन !
आपका प्रेम-पत्र...
जैसे किसी विस्मरण-गुहा में
उपेक्षित-तिरस्कृत
दमयन्ती के गिर्द
किसी निष्ठुर ‘नल’ की
सहृदय वापसी !
आपका प्रेम-पत्र...
जैसे किसी उत्तप्त मरुस्थल में
तृषावंत-क्लांत
मृग के सम्मुख
सहसा किसी नखलिस्तान का
आह्लादक प्राकट्य !
आपका प्रेम-पत्र...
जैसे किसी निर्जन-निर्तृण वनप्रांतर में
शाप-तापग्रस्त
प्रस्तर-शिला के शीश पर
किसी विरल बादल की
जीवन-जलवर्षा !
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- जितेन्द्र ‘जौहर’
पत्राचार: IR-13/3, रेणुसागर, सोनभद्र (उप्र) 231218.
कार्यस्थल: अंग्रेज़ी विभाग, ए.बी.आई. कॉलेज।
मोबा. +91 9450320472
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टिप्पणियाँ: ‘फ़ेसबुक वॉल’ से... (जस-की-तस; Copy & Paste)-
- आपको, Man Mohan Barakoti, Ajeet Kumar, Jayprakash Manas और 32 और को यह पसंद है.
- JJ bhai, aap prem patr ke alag-alag bhavon ko chitr ki tarh samne laye hai ..ati sundar abhivyakti .. aapki kalam ko naman karti hoon..
- बहुत ही खूबसूरत प्रेम पत्र ...आत्मिक ,आध्यात्मिक और ...
- Rang-viranga aur sahityik prem patr, bahut achchha lga. Badhai.
- धन्य है वो प्रेम-पत्र और वो प्रेम-पात्र भी, जिनका इतना गहरा, इतना विस्तृत, इतना सुन्दर वर्णन हुआ है और इतना ही नहीं, पौराणिक उद्धरणों का प्रतिबिम्बन भी सफलतापूर्वक हुआ है.......मेरी दृष्टि में इस प्रेम-पत्र से, इस प्रेम-पात्र से ज़ियादा महत्वपूर्ण है इस गीत का सृजन होना. अतिसुन्दर सर्जना के लिये जौहर साब को बहुत-बहुत मुबारकवाद.
- आप की कविता प्रेम पत्र में जिन मिथकों उपमाओं का सहारा लिया गया है उनका निर्वाह आपने खूबी के साथ किया है. मेरी बधाई लें.
- Bahut khub bahut sundar f.book pe parem patr bahut achha laga aasaan sabdon me prem ki baat dil tak pahunchi.@
- pankaj singh ki ek kavita yaad. aa gayi....ve hi bache rahenge.....jinone bacha liye prem patra
- बहुत ही सुन्दर भावाभिव्यक्ति, नमन सर जी
- Bahut bahut khoobsoorat ahsaasa ko sunder motiyon jaise shbdon me baandha hai ...bahut bdhaayi is rachna ke liye..waah
- भाई जौहर जी ! हार्दिक बधाई !आपके काव्य-कौशल को नामा !
- वाह, वाह, वाह, अति सुन्दर रचना ।
जौहर भाई इस रचना की प्रशँसा हेतु मेरे पास शब्द नहीँ है - आपका प्रेम पत्र...
जैसे स्नेह का अपार सागर
और ऊँची उमड़ती हुई लहरें
क्षितिज से अपनी ओर आती हुई
जिनकी गहराइयों में डूब कर भी
परमानन्द की अनुभूति हो रही है. - Quite admirable, After many yrs it came to be known to world taht Jhon keats & PB Shelley, both had something more in their heart, which they would to open iyt out in form of poetry. does it go to all poets universally including you. Better to vomit out.
- shandar lajawab anupam abhivyakti saadar saadhuvad
- काव्य कौशल का उत्कृष्ट नमूना..आपका प्रेम पत्र।
- aadarneeya aapki bhasha aur upmayein utkrishtata ki prateek hain!
- सुना है,.. प्रेम को शब्दों में व्यक्त करना नामुमकिन है, ..पर,... आपने तो प्रेम पत्र को जिस खूबसूरती से बयां किया है, दिल कह रहा है सुनी हुई पर नहीं आँखों देखी पर ही यकीन करूँ... सचमुच अद्भुत सृजन , आपकी कलमकारी का मुरीद हूँ... बहुत बधाई आपको..
- अत्युत्तम रचना, प्रतीकों-बिम्बों के सुंदर प्रयोग हेतु बधाई स्वीकारिए।
- Jitendr g, . . .your Prempatr is realy enriched with abundance of symbolic elements. . . .great work.
- जौहरji....namaskaar मन की सुन्दर भावनाओं को उत्कृष्ट विचारों के साथप्रेषित करने की कला को प्रेम-पत्र के माध्यम से
अभिव्यक्त करके आपने बड़ा ही पुण्य कार्य किया है
इस दिव्य रचना को पढ़ कर आपके प्रति सम्मान और अभिवादन
की भावनाओं का अनायास ही उमड़ पड़ना, स्वाभाविक-सा लगता है .... - बिंबों और प्रतीकों का सुंदर सामंजस्य अद्भुत प्रेम पत्र की अभिव्यक्ति अनुपम है ....शुभकामनाएं ...
- behtren..............shukriya aisi jeevat panktiyon ke liye,
- wah,gahare tak doobkar likhi hai,bahut umda ,waah
- adbhut......adbhut.....adbhut.... badhi jitender ji. sa mein aise kavita ki pratikriya sabdo mein nahi di ja sakti
Sundar......ati sundar abhivyakti !
Badhai.....hardik badhai Jitendra ji !- Jay Jay sahb, . . .आपका 'प्रेम पत्र' हमनेँ पढा , हम हैरान और नि:शबद है आपकी रचना पर |इजाजत हो ? तो कुछ एसे बयाँ करुँगा मैँ, इस दर्द और खुशी को, एक औरत के दिल से :
आपका प्रेम पत्र पढा
हर बार
पाया कुछ नया
जब पढा इसे बार बार|
विरहा की अग्नि दाह मेँ
सुलगती ,
कभी उर्मिला बन
महसूस किया ,
तो कभी
विरह वेदना मेँ तडफी
दमयन्ति बन
पलकेँ बिछाई अपनी |
तो कभी
शाप तापग्रस्त प्रस्तर
शिला बन,
उस सावन को
तरसी बार बार
प्रेम पत्र के
आने और पाने मेँ
आपके महसूस को
महसूस किया हमनेँ
. . . .कभी दमयन्ति . . .
तो कभी . . .
उर्मिला बन . . . .
उस पल को जिया हमनेँ|
अपने जख्मोँ को सिया हमनेँ |
बहुत सुंदर बिम्ब .... आनंद आया पढ़ कर ... आभार
ReplyDeleteशाप ग्रस्त शिला पर जल वर्षा ...??????
ReplyDeleteवाह....वाह.......
रीना जी का फोन न. दीजिएगा जरा ....:))
:):)उनसे कल तो आपकी बात हुई ही थी...!
Deleteचलिए कोई बात नहीं आपने नं. माँगा है, तो लीजिए...प्लीज़ नोट कर लीजिए- 786xxxxxx7.
...!!!
...!!!
वाकई सुन्दर प्रेम है.
ReplyDeleteवैभवशाली ..आभाव महल-और भावमय गृह -आगमन ...वाह ..
ReplyDeleteसहृदय वापसी ..
मरुस्थल में -मृग के सम्मुख ..
प्रस्तर-शिला के शीश पर ..जीवन जल वर्षा ......वाह अद्भुत
कोटिशः नमन लेखनी को !!
कितनी सहजता से कितनी विरहनियों की व्यथा-कथा का सटीक अंकन ...वाह..वाह ..वाह ..!!
वैभवशाली ..आभाव महल-और भावमय गृह -आगमन ...वाह ..
ReplyDeleteसहृदय वापसी ..
मरुस्थल में -मृग के सम्मुख ..
प्रस्तर-शिला के शीश पर ..जीवन जल वर्षा ......वाह अद्भुत
कोटिशः नमन लेखनी को !!
कितनी सहजता से कितनी विरहनियों की व्यथा-कथा का सटीक अंकन ...वाह..वाह ..वाह ..!!
achha likha jauhar saheb... badhai
ReplyDeleteachha likha jauhar saheb...... badhai
ReplyDeleteनिसंदेह एक सफल काव्याभिव्यक्ति है।
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