tag:blogger.com,1999:blog-4511934913972494330.post7676595557165629270..comments2022-11-03T14:22:11.742+05:30Comments on जौहरवाणी: रुबाई-३ :जितेन्द्र ‘जौहर’ Jitendra Jauharhttp://www.blogger.com/profile/06480314166015091329noreply@blogger.comBlogger17125tag:blogger.com,1999:blog-4511934913972494330.post-27607114884539633682012-05-14T23:27:12.805+05:302012-05-14T23:27:12.805+05:30धन्यवाद...राजेन्द्र जी,
आपके उत्साहवर्द्धन के लिए....धन्यवाद...राजेन्द्र जी,<br />आपके उत्साहवर्द्धन के लिए...!<br /><br />कई बार ऐसा हो जाता है...टिप्पणी मिस्टर इण्डिया वाली घड़ी पहनकर ग़ायब हो जाती है! टिप्पणियाँ ग़ायब हो सकती हैं...हमारी मूल भावनाएँ नहीं!<br /><br />आपका अपनत्व सदैव बना रहा है...मेरे लिए धरोहर है...आपकी सन्निधि मेरे लिए एक निधि है!जितेन्द्र ‘जौहर’ Jitendra Jauharhttps://www.blogger.com/profile/06480314166015091329noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4511934913972494330.post-66244920522938644012012-05-14T23:20:20.093+05:302012-05-14T23:20:20.093+05:30प्रतुल जी,
कृपया पहला मिसरा एक बार पुनः पढ़ लीजिए....प्रतुल जी,<br />कृपया पहला मिसरा एक बार पुनः पढ़ लीजिए...<br /><br />अनुरोध!जितेन्द्र ‘जौहर’ Jitendra Jauharhttps://www.blogger.com/profile/06480314166015091329noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4511934913972494330.post-31531474586331677872012-05-14T23:17:08.722+05:302012-05-14T23:17:08.722+05:30डॉ. अनवर जलाल साहब,
:) मैं दोनों मान रहा हूँ...‘...डॉ. अनवर जलाल साहब, <br /><br />:) मैं दोनों मान रहा हूँ...‘वाह’ भी और ‘आह’ भी... क्योंकि बक़ौल उपर्युक्त ‘भारतीय नागरिक’ साहब- "वाह इस रुबाई के लिए और आह उस परिस्थिति के लिए..."जितेन्द्र ‘जौहर’ Jitendra Jauharhttps://www.blogger.com/profile/06480314166015091329noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4511934913972494330.post-36908294234708379422012-05-14T22:49:59.529+05:302012-05-14T22:49:59.529+05:30.
आपकी इस रुबाई सहित पिछली दोनों रुबाइयां पढ़ कर ....<br /><br />आपकी इस रुबाई सहित पिछली दोनों रुबाइयां पढ़ कर आनंद आ गया … <br />पता नहीं, इस पोस्ट पर टिप्पणी भूल गया था , अथवा पब्लिश नहीं हो पाई , या मिट गई … <br /><br />आपने रुबाई की बुनगट को बख़ूबी निभाया है …<br /> <br /><b> हार्दिक बधाई ! </b> <br />-राजेन्द्र स्वर्णकारRajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकारhttps://www.blogger.com/profile/18171190884124808971noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4511934913972494330.post-82137461337458109422012-05-14T19:33:02.000+05:302012-05-14T19:33:02.000+05:30भाई प्रतुल जी,
आपसे पढ़ने में थोड़ी-सी चूक हो गयी ...भाई प्रतुल जी,<br />आपसे पढ़ने में थोड़ी-सी चूक हो गयी है; रुबाई की पहली पंक्ति यूँ है-<br /><br />‘काटे हैं शबो-रोज़ वो काले कैसे?’ <br />(यहाँ आपने ‘वो काले’ की जगह... ‘तो काले’ पढ़ लिया है।)<br /><br />आपने ब्लॉग पर पधारकर हमारा मान बढ़ाया, हार्दिक आभार...!<br />-जितेन्द्र ‘जौहर’जितेन्द्र ‘जौहर’ Jitendra Jauharhttps://www.blogger.com/profile/06480314166015091329noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4511934913972494330.post-22344647791871777642012-05-14T13:54:40.458+05:302012-05-14T13:54:40.458+05:30"काटे हैं शबो-रोज़ तो काले कैसे?" .. ???..."काटे हैं शबो-रोज़ तो काले कैसे?" .. ???? <br />मुझे लगता है अंत में कुछ यूँ होना चाहिये था : <br />"..... तो काटे कैसे?" <br />मुझे आपकी हर रचना मंजी हुई लगती है.<br />कम शब्दों में गहन अभिव्यक्ति होती है.प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00211742823973842751noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4511934913972494330.post-402207128895916132011-09-26T16:41:30.650+05:302011-09-26T16:41:30.650+05:30जोहर साब
प्रणाम !
यथार्थ का समक्ष रखती है आप की ये...जोहर साब<br />प्रणाम !<br />यथार्थ का समक्ष रखती है आप की ये उम्दा रुबाई ! बेहद सुंदर !<br />बधाई !<br />सादर !सुनील गज्जाणीhttps://www.blogger.com/profile/12512294322018610863noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4511934913972494330.post-18275965352338480222011-08-21T17:00:09.048+05:302011-08-21T17:00:09.048+05:30इस दर्द को हर कोई कैसे समझेगा भला ....??
शुभकामनाय...इस दर्द को हर कोई कैसे समझेगा भला ....??<br />शुभकामनायें आपको !Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4511934913972494330.post-16900292428005623622011-07-20T07:01:10.666+05:302011-07-20T07:01:10.666+05:30जितेन्द्र जी,
आरज़ू चाँद सी निखर जाए,
जिंदगी रौ...जितेन्द्र जी,<br /><br />आरज़ू चाँद सी निखर जाए, <br />जिंदगी रौशनी से भर जाए, <br />बारिशें हों वहाँ पे खुशियों की, <br />जिस तरफ आपकी नज़र जाए।<br /><b>जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएँ!</b><br />------<br /><a href="http://za.samwaad.com/" rel="nofollow">ब्लॉगसमीक्षा की 23वीं कड़ी।</a><br /><b><a href="http://sb.samwaad.com/" rel="nofollow">अल्पना वर्मा सुना रही हैं समाचार..।</a></b>Dr. Zakir Ali Rajnishhttps://www.blogger.com/profile/03629318327237916782noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4511934913972494330.post-39063181090750665212011-07-05T23:21:48.153+05:302011-07-05T23:21:48.153+05:30achchhi lagi aapki rubai bahut vahachchhi lagi aapki rubai bahut vahShalini kaushikhttps://www.blogger.com/profile/10658173994055597441noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4511934913972494330.post-15944099696189988002011-07-04T20:41:49.996+05:302011-07-04T20:41:49.996+05:30आप सभी गुणीजनों का हार्दिक आभार...!आप सभी गुणीजनों का हार्दिक आभार...!जितेन्द्र ‘जौहर’ Jitendra Jauharhttps://www.blogger.com/profile/06480314166015091329noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4511934913972494330.post-39217919565312456092011-06-30T19:26:16.790+05:302011-06-30T19:26:16.790+05:30सिर्फ चार पंक्तियों यानी कुछ ही शब्दों में हकीकत क...सिर्फ चार पंक्तियों यानी कुछ ही शब्दों में हकीकत को जामा पहना दिया - गागर में सागर - लाजवाब प्रस्तुतिAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4511934913972494330.post-2865857633830364782011-06-30T11:49:47.388+05:302011-06-30T11:49:47.388+05:30लाजवाब निशब्द। शुभकामनायें।लाजवाब निशब्द। शुभकामनायें।निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4511934913972494330.post-69357663982630960802011-06-28T00:42:50.062+05:302011-06-28T00:42:50.062+05:30सच्ची और हकीकत से रूबरू कराती रूबाईयां।सच्ची और हकीकत से रूबरू कराती रूबाईयां।अविनाश वाचस्पतिhttps://www.blogger.com/profile/05081322291051590431noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4511934913972494330.post-14242473179089293342011-06-27T15:03:47.930+05:302011-06-27T15:03:47.930+05:30वाह कहूँ या आह ... ?वाह कहूँ या आह ... ?DR. ANWER JAMALhttps://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4511934913972494330.post-29134828528000707232011-05-30T22:30:40.574+05:302011-05-30T22:30:40.574+05:30वाह इस रुबाई के लिये और आह उस परिस्थिति के लिये..वाह इस रुबाई के लिये और आह उस परिस्थिति के लिये..भारतीय नागरिक - Indian Citizenhttps://www.blogger.com/profile/07029593617561774841noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4511934913972494330.post-73431090347505728402011-05-19T17:42:36.932+05:302011-05-19T17:42:36.932+05:30सत्य कहा.....
मन भींग गया,दुःख अनुमानित कर...सत्य कहा.....<br /><br />मन भींग गया,दुःख अनुमानित कर...रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.com