काटे हैं शबो-रोज़ वो काले कैसे?
सीने में छिपा दर्द निकाले कैसे?
मत पूछिए विधवा ने भरी दुनिया में,
पाले हैं भला बच्चे तो पाले कैसे?
-जितेन्द्र ‘जौहर’
____________________शब्दार्थ : शबो-रोज़ = रात और दिन (दिन-रात)